नरेन्द्रं फणीन्द्रं सुरेन्द्रं अधीशं, शतेन्द्रं सु पुजै भजै नाय शीशं । मुनीन्द्रं गणीन्द्रं नमे हाथ जोड़ि, नम…
माता तू दया करके, कर्मों से छुड़ा लेना | इतनी सी विनय तुमसे चरणों में जगह देना ।। आज …
(दोहा) चहुँगति-फनि-विष-हरन-मणि, दु:ख-पावक जल-धार | शिव-सुख-सुधा-सरोवरी, सम्यक्-त्रयी निहार || …
सोलह कारण भाय तीर्थंकर जे भये | हरषे इन्द्र अपार मेरुपै ले गये || पूजा करि निज धन्य लख्यो बहु चावस…
(गीता छन्द) तीर्थंकरों के न्हवन-जल तें, भये तीरथ शर्मदा | ता तें प्रदच्छन देत सुर-गन, पंच…
(अडिल्ल छन्द) उत्तमछिमा मारदव आरजव भाव हैं, सत्य शौच संयम तप त्याग उपाव हैं | आकिंचन ब्रह्मचर्य धर…
दोहा सुखदायक सुख निधि सदा, गुण अनन्त सुखधाम। विघ्न विनाशक चंद्रप्रभ! बारम्बार प्रणाम।। गुरु गौतम…
जिसने राग-द्वेष कामादिक, जीते सब जग जान लिया सब जीवों को मोक्ष मार्ग का निस्पृह हो उपदेश दिया, बु…
(चौपाई छन्द) मैं तुम चरण-कमल गुणगाय, बहुविधि-भक्ति करूं मनलाय | जनम-जनम प्रभु पाऊँ तोह…
दर्शन श्री देवाधिदेव का, दर्शन पाप विनाशन है। दर्शन है सोपान स्वर्ग का, और मोक्ष का साधन है॥ …