(दोहा) चहुँगति-फनि-विष-हरन-मणि, दु:ख-पावक जल-धार | शिव-सुख-सुधा-सरोवरी, सम्यक्-त्रयी निहार || …
(आडिल्ल छन्द) सरब-परव में बड़ो अठाई परव है | नंदीश्वर सुर जाहिं लेय वसु दरब है || हम…
सोलह कारण भाय तीर्थंकर जे भये | हरषे इन्द्र अपार मेरुपै ले गये || पूजा करि निज धन्य लख्यो बहु चावस…
(गीता छन्द) तीर्थंकरों के न्हवन-जल तें, भये तीरथ शर्मदा | ता तें प्रदच्छन देत सुर-गन, पंच…
दोहा सुखदायक सुख निधि सदा, गुण अनन्त सुखधाम। विघ्न विनाशक चंद्रप्रभ! बारम्बार प्रणाम।। गुरु गौतम…