जिनदेव वेबसाइट जैन धर्म के अनुयायियों और इस धर्म में रुचि रखने वाले सभी व्यक्तियों के लिए समर्पित है। जैन धर्म भारत की प्राचीन और महान धर्म परंपराओं में से एक है। इस धर्म का मुख्य उद्देश्य आत्मा की मुक्ति और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित जीवन जीना है। हमारी वेबसाइट पर आपको जैन धर्म के सिद्धांतों, परंपराओं, त्योहारों, और जीवनशैली के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। हम इस वेबसाइट के माध्यम से जैन धर्म की शिक्षाओं को प्रसारित करने और इसके अनुयायियों को एक समर्पित मंच प्रदान करने का प्रयास कर रहे हैं।
जैन धर्म एक प्राचीन और महान धर्म परंपरा है जो आत्म-शुद्धि और अहिंसा के सिद्धांतों पर आधारित है। हमारी वेबसाइट का उद्देश्य जैन धर्म की शिक्षाओं को प्रसारित करना और इसके अनुयायियों को एक समर्पित मंच प्रदान करना है। हम आशा करते हैं कि यहाँ की सामग्री आपके ज्ञान को समृद्ध करेगी और आपको जैन धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहायता करेगी। इस वेबसाइट के माध्यम से हम जैन धर्म के विभिन्न पहलुओं को विस्तृत रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि आप इस धर्म को गहराई से समझ सकें और इसके सिद्धांतों का पालन कर सकें।
जिनदेव-
जो राग, द्वेषआदि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं, वे 'जिनदेव' कहलाते हैं। अर्हत, अरहंत, जिनेन्द्र, वीतराग, परमेष्ठि आदि इनके पर्यायवाची शब्द हैं।
जैन धर्म के सिद्धांत-
जैन धर्म के मुख्य सिद्धांतों में अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह शामिल हैं। ये पाँच सिद्धांत जैन धर्म के अनुयायियों के जीवन का आधार होते हैं और इनका पालन करना अनिवार्य होता है।
1. अहिंसा: जैन धर्म में अहिंसा का बहुत महत्व है। इसका अर्थ है किसी भी जीवित प्राणी को हानि नहीं पहुँचाना। अहिंसा केवल शारीरिक हानि तक सीमित नहीं है, बल्कि मानसिक और वाचिक हानि से भी बचना होता है।
2. सत्य: सत्य का पालन करना जैन धर्म का एक प्रमुख सिद्धांत है। सत्य बोलना और सत्य के मार्ग पर चलना हर जैन अनुयायी का कर्तव्य है।
3. अचौर्य: जैन धर्म में चोरी करना या दूसरों की वस्तु को बिना अनुमति लेना पाप माना जाता है। इसे अचौर्य या अस्तेय कहते हैं।
4. ब्रह्मचर्य: ब्रह्मचर्य का अर्थ है संयमित जीवन जीना और इंद्रियों पर नियंत्रण रखना। यह जैन धर्म के साधुओं और साध्वियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
5. अपरिग्रह: अपरिग्रह का अर्थ है भौतिक वस्तुओं के प्रति अनासक्ति। जैन धर्म के अनुयायी सीमित संसाधनों में संतोषपूर्वक जीवन जीने का प्रयास करते हैं।
No religion that can punish good person. No religion that can save bad person!